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मनरेगा योजना जिले में विफल, सक्रिय मजदूरों में केवल 5% को ही काम। नवंबर से मजदूरी भुगतान भी लंबित – कानपुर देहात।

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जिले में औंधे मुंह गिर रही मनरेगा योजना सक्रिय मजदूरों के सापेक्ष 5 प्रतिशत मजदूरों को भी नहीं मिल पा रहा काम नवंबर माह से श्रमिकों को नहीं मिली मजदूरी की राशि डीटीएनएन।कानपुर देहात।


जिले के बेरोजगार नौजवानों को रोजगार देने के साथ ग्रामीण अंचल के श्रमिकों के शहरों की ओर हो रहे पलायन को रोकने के लिए सरकार द्वारा संचालित मनरेगा योजना जनपद में औंधे मुंह गिर रही है। विभागीय अनदेखी से जनपद में सक्रिय मजदूरों की संख्या के सापेक्ष 5 प्रतिशत श्रमिकों को भी प्रतिदिन रोजगार नहीं मिल पा रहा है । इससे बड़ी संख्या में दैनिक मजदूर प्रतिदिन शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। वही श्रमिकों के कल्याण के लिए संचालित मनरेगा योजना जनपद में विफल नजर आ रही है।


सरकार ने दैनिक मजदूरों को रोजगार देने के लिए महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना का संचालन किया था। श्रमिकों को वर्ष में 100 दिन काम देने योजना बनाकर संचालित की गई योजना विभागीय अनदेखी से दम तोड़ती नजर आ रही है। इससे जनपद के सक्रिय मजदूरों के सापेक्ष योजना से 5 प्रतिशत लोगों को भी लाभ नहीं मिल रहा है। हालकि सीडीओ लक्ष्मी नागप्पन ने पिछले दिनों समीक्षा के दौरान की गई सख्ती के बाद काम में तेजी लाई थी लेकिन समय गुजारने के बाद फिर से योजना अपने ढर्रे पर आ गई।इससे इन दिनों जनपद की 618 ग्राम पंचायतों के सापेक्ष 241 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के कार्यों की शुरुआत की गई। इससे 112328 सक्रिय मजदूरों के सापेक्ष 4259 श्रमिकों को रोजगार दिया जा रहा है। इन्हें बढ़ाने के लिए लगातार अधिकारी निर्देश दे रहे हैं ।लेकिन ग्राम पंचायत में तैनात रोजगार सेवकों एवं मनरेगा के कर्मियों की लापरवाही से मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है। इससे जनपद में मनरेगा योजना विफल नजर आ रही है। केवल योजना में पीएम सीएम आवास के तहत व्यक्तिगत लाभ देकर योजना संचालित की जा रही है इसके अतिरिक्त माडल शाप, खेल के मैदान ,सोक पिट एवम खाद के गड्ढों के निर्माण के काम तेजी से किया जा रहा है। इसके बावजूद मजदूरों को अपेक्षा के अनुसार काम नहीं मिल पा रहा है जिससे बड़ी संख्या में मनरेगा मजदूर शहरो की ओर पलायन कर रहे हैं

जिले में आठ प्रतिशत लोगों को मिला काम
आंकड़ों के मुताबिक जिले में 1लाख 12हजार 328 सक्रिय मजदूर है। जिनमें से मंगलवार को केवल 4259 श्रमिकों को ही रोजगार मिल दिया गया ।जनपद की 241ग्राम पंचायतों में संचालित मनरेगा के कामों प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री आवास निर्माण के साथ संपर्क मार्ग निर्माण एवं खेलकूद के मैदान ,तलब खुदाई के एवं भूमि समतलीकरण आदि के कामों में इन श्रमिकों को रोजगार दिया जा रहा है। मनरेगा की योजना श्रमिकों को रोजगार देने के मामले में भी पूरी तरह विफल हो रही है। इससे आवास निर्माण में ही केवल 342 श्रमिक काम कर रहे हैं यदि इनको हटा दिया जाए 3917 श्रमिकों को ही मनरेगा योजना से कम मिल रहा है। इससे विभागीय अनदेखी से मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है । लेकिन विभागीय अधिकारी श्रमिको को रोजगार उपलब्ध कराने में रुचि नहीं ले रहे हैं। इससे मनरेगा योजना जनपद में पूरी तरह दम तोड़ रही है।
नवंबर माह से नहीं हुआ भुगतान


जिले में मनरेगा योजना से काम करने वाले श्रमिकों को समय पर भुगतान नहीं मिल रहा है इससे नवंबर माह से श्रमिकों का भुगतान नहीं किए जाने से श्रमिकों का मनरेगा से मोह भंग हो रहा है समय पर पैसा न मिलने के कारण मनरेगा के श्रमिक मनरेगा में काम करने के बजाय व्यक्तिगत कामों को वरीयता दे रहे हैं। वही सामग्री भुगतान में विलम्ब होने काम प्रभावित है। इससे संस्थाओं को सामग्री आपूर्ति का भुगतान न होने से विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं तथा संस्थाएं पैसे के भुगतान के अभाव में परेशान हो रही और अग्रिम सामग्री आपूर्ति में आनाकानी कर रही हैं जिससे भी मनरेगा योजना के कार्य गति नहीं पकड़ पा रहे हैं।


उप श्रम आयुक्त मनरेगा गजेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि जनपद में मजदूरों के लिए पर्याप्त कार्य योजना उपलब्ध है । सभी खंड विकास अधिकारियों को मनरेगा से अधिक से अधिक काम कराने के निर्देश दिए गए हैं प्रतिदिन की समीक्षा रिपोर्ट तैयार की जा रही है इस में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के विरुद्ध उत्तरदायित्व का निर्धारण पर कार्रवाई कराई जाएगी। तथा श्रमिकों को अधिक से अधिक काम दिया जाएगा।