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कानपुर की होली का भारत में अपना अलग स्थान

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होली गंगा मेला समिति ने डी एम से मुलाकात कर ज्ञापन दिया

डी टी एन एन। कानपुर नगर अपनी अनूठी एवं महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं के लिए पूरे देश में अपना एक विशेष महत्व रखता है। आगामी 13 मार्च को होली है। कानपुर की होली पूरे भारत में अपना अलग स्थान रखती है क्योकि कानपुर में होली से लेकर कानपुर हटिया होली मेला (गंगा मेला) तक होली का उल्लास रहता है। इस बार होली का मेला 20 मार्च दिन गुरूवार अनुराधा नक्षत्र में प्राचीन परम्परा के अनुसार होगा।

कानपुर का होली का मेला आजादी के दीवानों की याद में मनाया जाता है, स्वतन्त्रता आन्दोलन चरम सीमा में था, सन् 1942 में ब्रिटीश सरकार के तत्कालीन जिलाधिकारी कानपुर में होली खेलने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था, हटिया के नव युवकों ने यह तय किया कि यह हमारा धार्मिक त्यौहार है इसे हम पूरे हर्ष उल्लास के साथ मनायेंगे। हटिया रज्जन बाबू पार्क में क्षेत्रीय नवयुवक बाबू गुलाब चन्द सेठ के नेतृत्व में इकट्ठा हुए और तिरंगा फहराकर भारत माता की जय के जयघोष के साथ रंग खेलना प्रारम्भकिया तत्तकालीन शहर कोतवाल के नेतृत्व में हटिया पार्क को चारो तरफ से पुलिस ने घेर लिया और रंग खेल रहे नव युवकों को गिरफतार करके जेल में डाल दिया। इसकी प्रतिक्रिया के प्रति स्वरुप पूरे शहर में भयंकर होली खेली गयी और ऐलान किया गया कि जब तक नवयुवक नही छोड़े जायेगे निरन्तर होली खेली जायेगी। शहर में कई दिनों तक रंग चला। अतः ब्रिटिश सरकार को झुकना पड़ा और गिरफतार नवयुवकों को छोड़ना पड़ा। संयोगवश जिस दिन बन्दी छोड़े गये उस दिन अनुराधा नक्षत्र था, तभी से कानपुर में होली का समापन अनुराधा नक्षत्र के दिन गंगा मेले के रुप में मनाया जाने लगा। कमेटी इस वर्ष होली मेले (गंगा मेला) की 84वीं वर्षगांठ जयंती मनायेगी।

*होली मेले का शुभारम्भ प्रातः 9:45 बजे क्रान्तिकारियों के शिलालेख में पुष्पांजलि करके जिलाधिकारी कानपुर नगर व पुलिस कमीश्नर कानपुर नगर तिरंगा झण्डा फहराकर पुलिस बैण्ड (होमगार्ड बैन्ड) द्वारा राष्ट्रीय धुन बजायी जाती है जो आपके द्वारा भेजा जाता है, तत्पश्चात् रंग ठेले का शुभारम्भ हटिया रज्जन बाबू पार्क से होता है।