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एनर्जी एक्सचेंज, कार्बन डाई ऑक्साइड आधारित मेट्रो की सेंसर युक्त वातानुकूलन नियंत्रण प्रणाली एवं सोलर प्लांट जैसी यूपीएमआरसी की पहल की हुई प्रशंसा

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एमडी श्री सुशील कुमार को विशेष प्रतीक चिन्ह का सम्मान, कहा पर्यावरण की सच्ची मित्र है उत्तर प्रदेश मेट्रो

यूपीएमआरसी ने IGBC (इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल) द्वारा ग्रीन मेट्रो सिस्टम- द फ्यूचर ऑफ अर्बन मोबिलिटी पर दिल्ली में आयोजित 5वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लिया। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन और IGBC ने साथ मिलकर इस सम्मेलन का आयोजन किया जहां भविष्य के शहरों को आकार देने से लेकर पर्यावरण मित्रवत मेट्रो सिस्टम पर चर्चा हुई। यूपी मेट्रो के अलावा विभिन्न मेट्रो ने भी इस सम्मेलन में भाग लिया और उनके द्वारा ग्रीन मेट्रो सिस्टम के प्रति की गई पहल पर चर्चा हुई।

यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक श्री सुशील कुमार ने कहा कि यूपीएमआरसी ने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए हमेशा सभी लागू नियमों, विनियमों और मानकों का पालन किया है। यूपीएमआरसी ने परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और उनकी स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय भी किए हैं। उन्होंने बताया कि कई ऐसी पहल हैं जिन्हें UPMRC ने देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार किया है।

1- एनर्जी एक्सचेंज- यूपीएमआरसी, दिल्ली के बाद देश की दूसरी मेट्रो है जो एनर्जी एक्सचेंज कार्यक्रम में भाग ले रही है। लखनऊ मेट्रो के संचालन और रखरखाव के लिए बिजली ‘ओपन एक्सेस मॉडल’ के तहत इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (आईईएक्स) के माध्यम से खरीदी जाती है। बिजली दरें एक्सचेंज द्वारा 15-15 मिनट के ब्लॉक में विभाजित 24 घंटों के लिए तय की जाती हैं। यूपीएमआरसी सिर्फ उन ब्लॉक में बिजली खरीदता है जिसके लिए उचित दरें मिल रही हों और बाकि शेष खंडों के लिए यूपी मेट्रो उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) से मानक दरों पर बिजली खरीद आपूर्ति पूरी करता है। इस मॉडल के जरिए यूपीएमआरसी ने एक महीने में अधिकतम 45 लाख रुपये की ऊर्जा की बचत की है। उत्तर प्रदेश में अभी तक यह पहल UPMRC ने ही की है जिससे ऊर्जा बजट में कमी लाई जा रही है।

2- इन्वर्टर का प्रयोग- देश में पहली बार कानपुर एवं आगरा मेट्रो में थर्ड रेल डीसी सिस्टम के साथ ख़ास इन्वर्टर लगा कर किया ऊर्जा संरक्षण के लिए इनोवेशन।
इस खास इन्वर्टर से ट्रेन में लगने वाले ब्रेक्स से पैदा होने वाली ऊर्जा को वापस सिस्टम में इस्तेमाल के योग्य बनाया जा रहा है। कानपुर मेट्रो और आगरा ट्रेनों की ऊर्जा दक्षता लगभग 40%-45% होगी यानी प्रत्येक 1000 यूनिट ऊर्जा के व्यय पर 400-450 यूनिट तक ऊर्जा को संरक्षित कर पुनः मेट्रो सिस्टम में इस्तेमाल कर लिया जाएगा। अभी तक देश में थर्ड रेल डीसी सिस्टम से परिचालित किसी भी मेट्रो परियोजना में ऐसी व्यवस्था नहीं है। इसी तरह लखनऊ में भी रीजेनरेटिव ब्रेकिंग के माध्यम से ऊर्जा उत्पन्न करने और संरक्षित करने के लिए मेट्रो ट्रेनों और लिफ्टों में रीजेनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
3- CO₂ सेंसर आधारित HVAC नियंत्रण प्रणाली- भारत में पहली मेट्रो जो CO₂ सेंसर आधारित HVAC( हीटिंग, वेंटिलेशन एंड एयर कंडिशन) नियंत्रण प्रणाली से लैस है। लखनऊ, कानपुर एवं आगरा मेट्रो में ऊर्जा संरक्षण के लिए CO₂ सेंसर आधारित HVAC नियंत्रण प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। जिसमें कोच के अंदर CO₂ की मात्रा जैसे ही तय मानक के ऊपर जाती है स्वचालित एयर कंडीशन शुरु हो जाता है। कोच के अंदर CO₂ की मात्रा कम होते ही एयर कंडीशन बंद हो जाता है इससे 12-16% ऊर्जा की बचत होती है। इसमें भी UPMRC ने पहल की थी।

4- सौर ऊर्जा
* लखनऊ: यूपीएमआरसी ने ट्रांसपोर्ट नगर डिपो, प्रमुख मेट्रो स्टेशनों और प्रशासनिक भवन, गोमती नगर, लखनऊ में कुल 3.312 मेगावाट की छत पर सोलर पैनल क्षमता स्थापित की है।
* कानपुर: यूपीएमआरसी ने कानपुर मेट्रो डिपो में 1 मेगावाट क्षमता का सोलर रूफ टॉप प्लांट स्थापित किया है।
* आगरा: आगरा मेट्रो में स्थापना के लिए 2 मेगावाट क्षमता का टेंडर प्रक्रिया में है।

5- वृक्षों का पुनर्स्थापन और स्थानांतरण
* लखनऊ मेट्रो- परियोजना में, 400 से अधिक वृक्षों को स्थानांतरित किया गया, जिनकी जीवित रहने की दर 95% से अधिक रही।
* कानपुर मेट्रो- इसी तरह का मॉडल कानपुर में अपनाया गया है, जहाँ अब तक कानपुर मेट्रो परियोजना के प्राथमिक खंड के तहत 100 से अधिक बड़े वृक्षों का स्थानांतरण किया गया है।
* आगरा मेट्रो- परियोजना में, यूपीएमआरसी परियोजना निष्पादन के दौरान कटे गए हर वृक्ष के बदले में 10 वृक्ष लगाने के लिए वन विभाग के साथ मिलकर काम कर रहा है।

6- ड्राइवरलेस मेट्रो एवं सिग्नलिंग सिस्टम – यह उल्लेखनीय है कि यूपी मेट्रो रेल नवीनतम तकनीक का उपयोग करती है, जिसमें ड्राइवरलेस ट्रेनें और उन्नत सिग्नलिंग सिस्टम शामिल हैं।

7- ग्रीन बेल्ट- यूपीएमाआरसी ने 1.1 लाख वर्ग मीटर का विशाल ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण किया है।* लखनऊ मेट्रो- 65,000 वर्ग मीटर की हरियाली कवर प्रदान कर रहा है।
* कानपुर मेट्रो- 35,000 वर्ग मीटर की हरियाली कवर प्रदान कर रहा है।
* आगरा मेट्रो- लगभग 1,200 वर्ग मीटर का हरियाली कवर में योगदान देता है।
8- आईजीबीसी प्रमाणित- लखनऊ एवं कानपुर मेट्रो की पर्यावरण के प्रति अच्छी प्रथाओं को देखते हुए इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) ने लखनऊ के सभी 21 और कानपुर के सभी 9 मेट्रो स्टेशनों को प्लेटिनम रेटिंग से प्रमाणित भी किया है।
9- जीरो डिस्चार्ज डिपो- लखनऊ, कानपुर और आगरा मेट्रो डिपो में जीरो डिस्चार्ज सुविधा से सुनिश्चित होता है कि पर्यावरण में प्रदूषण का एक कण भी ना जाए। डिपो में स्वचालित कंपोस्टिंग मशीनों को लगाया गया है जो कचरे को उर्वरक में बदल कर पर्यावरण के प्रति यूपीएमआरसी की जिम्मेदरी को दर्शाता है।

CII (कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) के अंतर्गत (CII IGBC) 5वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में श्री मनोहर लाल, भारत सरकार के आवास और शहरी मामलों तथा विद्युत मंत्री ने शिरकत की। इस दौरान राज्य मंत्री तोखेन साहू भी उपस्थित रहे। श्री खट्टर ने कहा, “जैसे-जैसे मानवता प्रगति करती है, हमारे नवाचारों का अक्सर प्रकृति से टकराव होता है, जो दोनों, उन्नति और जोखिम लाता है। वैश्विक तापमान में 1.5°C से अधिक वृद्धि एक वैश्विक चिंता का विषय बन गई है, जिसने देशों को पेरिस समझौते जैसे पहल के तहत एकजुट होने के लिए प्रेरित किया है”।

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